सोयाबीन में बार बार किट कर रहे है परेशान इस दवा से होगा किटो का सत्यानाश

 सोयाबीन के जिद्दी किटो  का नियंत्रण कैसे करें

 जैविक और रासायनिक उपाय  


सोयाबीन की फसल में प्रमुख कीट और उनका नियंत्रण 

सोयाबीन की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, जो किसानों के लिए प्रमुख आय का स्रोत है। हालांकि, इस फसल पर कई कीटों का प्रकोप होता है, जो उपज को प्रभावित कर सकते हैं। यहां हम सोयाबीन की फसल में पाए जाने वाले प्रमुख कीटों, उनके लक्षण, जीवनचक्र और प्रभावी नियंत्रण के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। 



1.चक्र भृंग (गर्डिल बीटिल)

चक्र भृंग, जिसे कटर इल्ली भी कहा जाता है, सोयाबीन की फसल के लिए एक गंभीर खतरा है। यह कीट पौधे की 20-25 दिन की अवस्था से लेकर फसल के परिपक्व होने तक सक्रिय रहता है। ये कीट पौधे की तना, पत्तियों एवं शाखाओं पर दो रिंग या घेरा बनाता है और इनके बीच में अण्डा देता है, जिससे पौधे की जायलम फ्लोएम की कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचता है। इल्ली पौधे के तने को अंदर से खाकर उसे गिरा देती है, जिससे फसल में 50% तक हानि हो सकती है।

नियंत्रण उपाय:

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेत में गहरी जुताई करें, जिससे कीटों के अंडे और लार्वा नष्ट हो जाएं। समय से पूर्व बुवाई समय पर बुवाई करें, क्योंकि देर से बुवाई करने पर कीट का प्रकोप कम होता है। खाद एवं उर्वरक पौधे को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करें और पोटाश की मात्रा अवश्य डालें। प्रभावित पौधों को नष्ट करना प्रभावित पौधों को नीचे से तोड़कर नष्ट कर दें।

रासायनिक नियंत्रण 

  ट्राइजोफास 800 मिली प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।


2. तना मख्खी 

अपने अण्डे पत्ती की निचली सतह पर देती है। अण्डे से निकलने वाली इल्ली पत्तियों के शिरों एवं डंठल को अंदर से खाते हुए तने में प्रवेश करती हैं, जिससे उपज में 25-30% तक हानि होती है। उचित समय पर बुवाई समय पर बुवाई करें, ताकि कीट का प्रकोप कम हो। प्रकोपित पौधे को नष्ट करना  प्रभावित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें।

जैविक नियंत्रण- प्रेयिंग मेटेड क्राइसोपरला, क्राक्सीनेल वीटिल का प्रयोग करें।

रासायनिक नियंत्रण- डाईमेथोएट 30 ई.सी. 700 मिली. या इमाडाक्लोप्रिड 200 मिली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।


3. सेमीलूपर 

सेमीलूपर की इल्लियां पत्तियों को खाती हैं और अधिक प्रकोप होने पर कोमल प्ररोहों एवं पत्तियों की नसों को छोड़कर शेष सभी हरे भागों को खा जाती हैं।

नियंत्रण उपाय

उचित बीज दर का प्रयोग बीज दर का सही अनुपात में प्रयोग करें, जिससे पौधों के बीच की दूरी नियंत्रित हो। खेत में टी आकार की लकड़ी की खूंटियां लगाएं जिसमें बैठने वाली चिड़ियां इन इल्लियों को खा सकें।

फेरोमोन ट्रैप -  10 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में लगाएँ।

रासायनिक दवाओं का प्रयोग -  क्विनालफास 2 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।


 4. तम्बाकू इल्ली

तम्बाकू इल्ली अगस्त से सितंबर माह में फसल को नुकसान पहुंचाती है। नवजात इल्लियां खुरचकर पत्तियों को खाती हैं जिससे पत्तियां जालीदार हो जाती हैं। 


फसल चक्र अपनाना  नियमित फसल चक्र अपनाएं।

अंडे एवं इल्लियों को नष्ट करना अंडे एवं इल्लियों को इकट्ठा करके नष्ट करें।

रासायनिक नियंत्रण -  क्विनालफास दवा 2 मि.ली. प्रति हे. पानी की दर से 1.5 ली. प्रति हे. का छिड़काव करें।


 5. बिहार हैरीकैटरपिल

इस कीट की इल्लियां पत्तियों पर झुण्ड में रहकर उन्हें खुरच कर खाती हैं जिससे पत्तियां जालीनुमा होती हैं।

नियंत्रण उपाय

खेत में गहरी जुताई  खेत में गहरी जुताई करें।

अनुशंसित बीजदर का प्रयोग  अनुशंसित बीजदर 70 से 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें।

फसल चक्र नियमित रूप से फसल चक्र अपनाएं।

जैविक नियंत्रण   एन.पी.व्ही. 250 एल.ई., 1250 सूंडी के बराबर के घोल का छिड़काव करें।

रासायनिक नियंत्रण  

 ट्राइजोफास 40 ई.सी. 800 मिली. प्रति हे. का छिड़काव करें।


6. सफेद मख्खी 

सफेद मक्खी के शिशु तथा वयस्क दोनों ही फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। यह कीट शहद के समान द्रव उत्सर्जित करता है जिस पर काले रंग की फफूंद विकसित हो जाती है।

नियंत्रण उपाय

फसल चक्र अपनाना: फसल चक्र अपनाएं।

खरपतवार प्रबंधन  खरपतवार प्रबंधन करें।

रासायनिक नियंत्रण

 ट्राइजोफास 40 ई.सी. 800 से 1000 मिली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।


 7. फलीछेदक 

फलीछेदक इल्ली पत्तियां, फलों एवं कली को खाकर नष्ट करती है। फल्लियों में दाने पड़ने के पश्चात फल्ली में छेद करके खाती है। 


नियंत्रण उपाय

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें।

 अंडों एवं इल्लियों को नष्ट करना इल्लियों एवं अंडों को इकट्ठा करके नष्ट करें।

-टी. आकार की खुटियां जिन पर पक्षी बैठकर इल्लियां खा सकें, 50 प्रति हेक्टेयर खेत में लगाएं।

रासायनिक नियंत्रण

क्लोरोपाइरीफास 20 ई.सी. 1.5 ली या इंडोक्साकार्ब 14.8 एस.एल. 300 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें।


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