पपीते की खेती गर्म जलवायु वाले राज्यों में सबसे अधिक की जाती है पपीता एक फल वर्गीय फसल है पपीता के फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है जिसकी वजह से बाजार में पपीता की काफी ज्यादा मांग रहती है केले के बाद पपीता ही एक मात्र एसी फसल है
जिसका उत्पादन काफी ज्यादा निकलता है अगर किसान एक व्यापारी द्रष्टि से पपीते की खेती करे तो काफी ज्यादा मुनाफा ले सकते है पपीते की खेती महाराष्ट्र ,उत्तरप्रदेश ,बिहार और मध्यप्रदेश में की जाती है मध्यप्रदेश के बडवानी जिले में पपीते की खेती सबसे अधिक की जाती है
पपीते की खेती के लिए मिटटी और जलवायु
पपीते की खेती के लिए उत्तम जल निकास वाली मिटटी उपयुक्त होती है साथ ही हलकी दोमट मिटटी लाल मीट्टी और बलुई मिटटी में पपीते की खेती की जा सकती है पपीते की खेती के लिए मिटटी का पी एच पाच से सात के बीच होना चाहिए|
पपीते की खेती के लीये गर्म तापमान की आवश्यकता होती है बीज अंकुरण के समय तापमान 20 से लेकर 35 डिग्री तक होना चाहिए फुल और फल के समय 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है वहीं फल की कटाई ठंडे मौसम में की जाती है
पपीते की देसी और उन्नत किस्मे
पपीते की अनेक किस्मे बाजार में उपलब्ध है कुछ देसी किस्मे है और कुछ हाइब्रिड किस्मे है हर किसान को अपने राज्य के अनुकूल ही किस्मो का चयन करना चाहिए जैसे उनके प्रान्त में किस किस्म की अधिक मांग है या फिर किस किस्म के अनुकूल अपने प्रान्त का मौसम है
पपीते की देसी किस्म
1 - पूसा डिलीसियस
2 - पूसा नन्हा
३ - पूसा एवार्फ़
4 - हनिद्यु
5 - पंजाब स्वीट
पपीते की हाइब्रिड किस्म
1- रेड लेडी 786
2 - आइस बेरी
3 - ग्रीन बेरी
4 - VNR अमीना
5 - 15 नंबर
पपीते की पौध तैयारी
पपीते की खेती करने के लिए सबसे पहले पोध तैयार करना होता है आज के इस आधुनिक युग में पौध तैयार करने के लिए कोकोपिट का उपयोग किया जाता है पौध या नर्सरी तैयार करने के लिए कोकोपित को पहले भीगा लेना चाहिए भिगाए हुए कोकोपित से पानी सूखने के बाद उसे पो ट्रे में भर लेना चाहिए ओसके बाद बताई किस्मो में से किसी न भी एक किस्म के बीज लेकर पो ट्रे में लगाकर ऊपर से फिर से एक बार कोकोपिट डाल दे फिर हलकी सिचाई कर ठन्डे स्थान पर रख दे रोजाना हल्की सिचाई करें २० से २५ दिन की पौध होने पर खेत में लगा सकते है|
पपीते की खेती के लिए भूमि की तैयारी
पपीते खेती करने के के लिए खेत जुताई कर गोबर की सडी खाद डालनी चाहिए खाद को मिटटी में अच्छे से मिलाकर खेत को भुरभुरा बना ले बेड या नालिया बना लेना चाहिए जिसमे पपीते की बुवाई की जाती है पौधो के बीज उचित दुरी रखनी चाहिए पपीते के पौधो को 7*7 या 5*7 फीट की दुरी पर ही लगाना चाहिए पपीते की खेती के साथ ही तरबूज की खेती भी की जा सकती है प्रति एकड़ पपीते के ७०० पौधे लगते है |
पपीते की फसल में सिचाई और खाद प्रबंधन
पपीते के पौधे खेत में लगाने के पश्चात सिचाई केवल उतनी करनी चाहिए जीतनी पौधो को आवश्यकता हो अधिक सिचाई करने पर पौधो में सडन गलन की समस्या हो सकती है साथ ही पौधो की बडवार भी अधिक हो सकती है पपीते की फसल में समय समय पर नाइट्रोजन ,फास्फोरस और पोटाश देते रहना चाहिए साथ ही कुछ सूक्ष्म खादों का भी प्रयोग करते रहना चाहिए पपीते के पौधे छह महीने में फल देना शुरू कर देते है उस समय पौधो को अत्यधिक खाद की आवश्यकता होती है|
पपीते की फसल में किट और रोग नियंत्रण
पपीते की फसल में रस चुसक किटो का प्रकोप होता किटो का प्रकोप अधिक होने पर यह रोग वायरस में बदल जाता है जिस वजह से इन रस चुसक किटो को नियंत्रण करना जरुरी होता है पपीते की फसल में रस चुसक किटो को नियंत्रण करने के लिए एमिडा क्लोरोपिड ५०० मिली प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करना चाहिए
पपीते के पौधो में लगने वाले कुछ मुख्य रोग येलो मोजेक, लीफ कर्ल वायरस , जड़ गलन ,पावडरी मिलिड्यु , के जैसे रोग लगते है जिनके नियंत्रण के लिए समय समय पर कृषि सलाहकार की सलाह से स्प्रे करते रहना चाहिए
पपीते के फलो की कटाई
पपीते की फसल को मार्च से लेकर जून के महीने तक कभी भी लगाया जा सकता है पपीते की फसल लगाने के छह महीने के बाद फल फल लग्न शुरू हो जाते है और इन फलो को परिपक्व होने में दो महीने लगते है पपीते के फल की तुडाई कर अखबार के टुकडो में लपेटकर गाड़ी लोडिंग कर मंडी भेज दिया जाता है |
पपीते की खेती के एक अनुभवी किसान का क्या कहना है आप निचे दिए गए विडियो में देख सकते है
पपीते की खेती से कितनी कमाई
पपीते की खेती कम भूमि वाले किसानो को नहीं करना चाहिए क्यों की पपीते की फसल लम्बे समय दो साल के लगभग चलती है
और खर्च भी बहुत ही अधिक लगता है पपीते की खेती में लगने वाले लागत खर्च और शुध्ध मुनाफा जानने के लिए निचे दिए गए विडियो को देख सकते है
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