गराडू का पोषक तत्वों से भरपूर होता है सर्दियों के समय बाजार में इसकी मांग बहुत अधिक होती है इसका उपयोग सब्जी के अलावा फल के रूप में भी किया जाता है कुछ गिने चुने किसान ही इसकी खेती करते है गराडू की खेती मध्यप्रदेश के रतलाम और खंडवा जिले में की जाती है गराडू की खेती करके किसान कम समय में कम भूमि में और कम खर्च में अधिक मुनाफा कमा रहे है
गराडू की फसल लगाने का सही समय एवं भूमि की तैयारी
गराडू की फसल को जून के महीने में बारिश का मौसम लगने से पहले लगाया जाता जिन कीसानो के पास सिचाई के लिए पानी उपलब्ध नही रहता वे किसान ईस फसल को बारिश होने के बाद है जुलाई यानि खरीफ के मौसम में भी लगा सकते है गराडू की फसल को लगाने के लिए काली भुरभुरी मिटटी या बलुई दोमट मिटटी की आवश्यकता होती है जिस जमी में अधिक गहरी मिटटी होती है वहा पर गराडू की फसल को लगाना चाहिए क्यों की गराडू का कंद जमीन के अन्दर बनता है गराडू की फसल लगाने से पहले खेत की गहरी जुताई कर गोबर की सड़ी खाद मिला लेना चाहिए फिर बेड बनाकर गराडू की बुवाई कर देनी चाहिए बुवाई के बाद लताये बड़ी हो जाये तब बॉस लगाकर गराडू की लताओं को बॉस की सहायता से उपर कर देनी चाहिए
बुवाई की विधि
गराडू की बुवाई के के लिए गराडू के बड़े फलो को काटकर 25 ग्राम के छोटे टुकड़े कर लेना चाहिए उसके बाद एक स्थान पर गराडू के बीज को करीब 4 cm गहरा रखकर मिटटी ड़ाल देनी चाहिए
लगाते समय बीज से बीज की दुरी 12 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दुरी 25 सेंटीमीटर रखनी चाहिए
गराडू की फसल में लगने वाले किट,और रोग
गराडू की फसल में जड़ को काटने वाले कीड़े भूडला या गोबर के कीड़े से बचाने के लिए मेतारिज़ियम एनीसोप्ली जैविक कीटनाशक का उपयोग 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से सिचाई के साथ करना चाहीये
गराडू की कटाई एवं भण्डारण
गराडू की फसल 6 महीने की फसल होती है फसल पकने के बाद फलो की सावधानी से खुदाई कर निकलना चाहिए अगले वर्ष बुवाई करने के लिए बीज को ३० से ३५ दिन के बाद निकलना चाहिए और घर पर ठन्डे स्थान पर रखना चाहिए
गराडू की फसल सभी प्रकार की जानकारी के लिए निचे दिए गए विडिओ को देख सकते है
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